railway science important questions : railway exam science important questions 2025

Railway Science important questions

 

Chemistry Important Questions

 तापमान बढ़ने से कणो की गतिज ऊर्जा भी बढ़ जाती है। 

दो विभिन्न पदार्थो के कणो काअपने आप मिलना विसरण कहलाता है (ऐसा कणो के रिक्त स्थानों में समावेश के कारण होता है )

गर्म करने पर विसरण तेज हो जाता है 


द्रव का आकार अनिश्चित( जिस बर्तन में रखा जाये उसी का आकार ले लेते है  ) और आयतन निश्चित 


ठोस, द्रव और गैस तीनो में विसरण संभव है ( विसरण दर - द्रव > ठोस (क्योकि द्रव रिक्त स्थान ज्यादा ) )

संपीड्यता ( compression ) - गैस > ठोस , द्रव 

P = M /V  घनत्व = M /V 

जिस न्यूनतम ताप पर ठोस पिंघलकार द्रव बन जाता है वह इसका गलनांक कहलाता है ( बर्फ गलनांक 273.15 K   )

गैस से सीधे ठोस बनने की प्रक्रिया को निक्षेपण 

दाब बढ़ने और तापमान घटने से गैस द्रव में बदल सकती है 

ठोस को CO२ को उच्च दाब पर संग्रहित किया जाता है ( जब वायुमंडलीय दाब माप 1 atm हो तो ठोस Co२ द्रव में आये बिना गैस में परिवर्तित )  

1atm = 1.01 x  10 ^ 5 Pa  

कवथनांक से कम तापमान पर द्रव के वाष्प में परिवर्तित होने की प्रक्रिया वाष्पीकरण कहलाती है 



Phase of Matter

5 अवस्था : बोस-आइंस्टाईन  कंडन्सेट, ठोस, द्रव, गैस, प्लाज्मा   

 


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Railway exam science important questions
 


विलयन(विलायक(ज्यादा मात्रा)+विलेय(कम मात्रा वाला)) : दो या दो से अधिक पदार्थो का समांगी मिश्रण

दिए गए निश्चित ताप पर यदि विलयन में विलेय पदार्थ नहीं घुलता तो उसे संतृप्त विलयन कहते है , यदि एक विलयन में विलेय पदार्थ की सांद्रता संतृप्त स्तर से कम हो तो उसे असंतृप्त विलयन कहते है। 

विलायक की मात्रा में घुले हुए विलेय पदार्थ की मात्रा को विलयन की सांद्रता कहते है : ( विलेय /विलयन ) x 100

 विषमांगी घोल जो ठोस द्रव में परिक्षेपित हो

 जाता है निलंबन कहलाता है। ( ये कण आँखों से देखे जा सकते है मिश्रण शांत होने पर ये कण बैठ जाते है )


Tyandall Effect

प्रकाश की किरण के फैलाना टिंडल प्रभाव कहलाता है 


कोलॉयड कण विषमांगी मिश्रण, आकार इतना छोटा की नग्न आँखों से नहीं देखे जा सकते , छानन विधि से अलग नहीं किन्तु अपकेंद्रीकरण(Centrifugal) विधि द्वारा अलग किये जाते है 


रंग (डाई ) को नीले/काले रंग की स्याही से कैसे अलग : वाष्पीकरण 

काली स्याही में डाई को अलग ( डाई में रंगो का पृथक , नेचुरल रंगो से पिग्मेंट को, रक्त से ड्रग्स को,  ) : क्रोमैटोग्राफी 

दो घुलनशील पदार्थो को(एसीटोन और जल )[ (पदार्थ जो विघटित हुए बिना उबलते तथा घटक क्वथनांक अंतर अधिक )] : आसवन विधि

दो या दो से अधिक घुलनशील द्र्वो जिनके कवथनांक का अंतर 25 k  से कम होता है ( वायु से गैसों ,पेट्रोल उत्पाद  ) : प्रभाजी आसवन 

ठोस पदार्थो को शुद्ध करने में (अशुद्ध नमूने से शुद्ध कॉपर सल्फेट प्राप्त,अशुद्ध नमूने से फिटकरी प्राप्त {समुद्री नमक }) : क्रस्टलीकरण  


दो अघुलनशील द्रव मिश्रण कैसे पृथक (तेल जल , धातुशोधन ): पृथक्करण विधि

अधातु : हाइड्रोजन ,ऑक्सीजन,आयोडीन,कार्बन, ब्रोमीन,क्लोरीन आदि   

धातु और अधातु के बीच : Metalloid (बोरॉन , सिलिकॉन ,जर्मेनियम आदि)

92  तत्व प्राकृतिक  , 11 तत्व कमरे के तापमान पर गैसे , 2 तत्व द्रव room temp. ( पारा, ब्रोमीन ) .. गैलियम और सीज़ियम कमरे ताप ( 303K  ) से कुछ अधिक तापमान पर द्रव 

परमाणु त्रिज्या को नैनोमीटर (nm) में मापा जाता है 10^ -9 m = 1 nm  , 1 m = 10 ^ 9 nm 

 डाल्टन द्वारा कुछ तत्वों के प्रतीक 






डाल्टन के अनुसार प्रत्येक तत्व का एक परमाणु द्रव्यमान होता है : 

IUPAC : किसी प्रतीक के पहले अक्षर को बड़े और दूसरे अक्षर को छोटे अक्षर से  H, 
He, Li 

धातु एवं अधातु युक्त यौगिक आवेशित कणो से बने होते है इन आवेशित कणो को अयन कहते है ( धनायन ,ऋणायन )


पदार्थ की SI इकाई क्या है : मोल   : 1 मोल = 6. 022 x  10^23 कण 

गोल्डस्टीन ने खोज की : केनाल रे 


Atomic Theory

डाल्टन के अनुसार परमाणु अविभाज्य और अविनाशी था लेकिन परमाणु के भीतर 2 मूल कणो इलेक्ट्रान और प्रोटॉन की खोज ने डॉल्टन के परमाणु सिद्धांत की इस धारणा को गलत साबित कर दिया ,

इलेक्ट्रान और प्रोटान परमाणु के भीतर किस प्रकार स्थित होते है इसको लेकर जे जे टामसन ने पहले मॉडल प्रस्तुत किया 

i )जे जे टामसन के परमाणु मॉडल के अनुसार परमाणु एक धनावेशित गोला था जिसमे इलेक्ट्रान क्रिसमस केक में लगे सूखे मेवे की तरह थे या तरबूज की तरह है, जिसके अनुसार परमाणु में धन आवेश तरबूज के लाल भाग की तरह बिखरा है जबकि इलेक्ट्रान तरबूज के बीच की तरह धंसे है 




ii ) रदरफोर्ड परमाणु मॉडल : रदरफोर्ड में अल्फा कण को सोने की पन्नी से टकराया ( सोने की यह पन्नी1000 परमाणु के बराबर मोटी , अल्फा कण धनावेशित होते है और 4 u द्रव्यमान )


रदरफोर्ड निष्कर्ष : 
a ) परमाणु केंद्र धनावेशित होता है जिसे नाभिक कहते है , परमाणु का संपूर्ण द्रवमान नाभिक में 
b ) इलेक्ट्रान नाभिक के चारो ओर( वर्तुलाकार मार्ग ) चक्कर लगाते है 
c ) नाभिक का आकार परमाणु की तुलना में काफी कम होते है 

रदरफोर्ड मॉडल कमियाँ : वर्तुलाकार मार्ग में गति करते हुए इलेक्ट्रान की ऊर्जा क्षय होती रहती है और अंत में नाभिक से टकरा जायेगा तो परमाणु अस्थिर होता है। लेकिन हम जानते है की परमाणु स्थिर होते है। 

iii ) बोर का परमाणु मॉडल : रदरफोर्ड के मॉडल पर उठी आपत्तियों को दूर करने के लिए नील्स बोर ने परमाणु संरचना के बारे में बताया 
इलेक्ट्रान केवल एक निश्चित कक्षा में ही चक्कर लगा सकते है जिनकी इलेक्ट्रान की विविक्त कक्षा कहते है , जब इलेक्ट्रान इस विविक्त कक्षा में चक्कर लगाते है तो , उनकी ऊर्जा का विकिरण नहीं होता है 

इन कक्षाओं ( कोशो ) को ऊर्जा स्तर कहते है 





न्यूट्रॉन : जे. चैडविक ने न्युट्रान खोजा जो अनावेशित और द्रव्यमान प्रोटान के बराबर था 

विभिन्न कक्षाओं में इलेक्ट्रान वितरण : बोर-बड़ी स्कीम ( बोर और बरी के नियम  )

i ) किसी कक्षा में उपस्थित अधिकतम इलेक्ट्रानो की संख्या को २ n ^ २ ( n=कक्षाओं (ऊर्जा स्तर ) की संख्या )

पहली कक्षा (K) = 2 x 1 = 2 
L = 2 x (2)^ 2  = 8  
M   = 18 
N = 32 

ii ) सबसे बाहरी कोश में इलेक्ट्रानो की अधिकतम संख्या  8 हो सकती है 

संयोजकता : परमाणु की सबसे बाहरी कक्षा में उपस्थित इलेक्ट्रानो को संयोजकता - इलेक्ट्रान कहा जाता है। 
जिस किसी परमाणु के बाहरी कोश में 8 इलेक्ट्रान होते है उसकी संयोजकता 0 होती है। 

परमाणु संख्या : एक परमाणु में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या उसकी परमाणु संख्या होती है। 

द्रव्यमान संख्या : नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन और न्युट्रान की कुल संख्या 

समस्थानिक : एक ही तत्व के परमाणु जिनकी परमाणु संख्या समान लेकिन द्रव्यमान संख्या भिन्न ( ex  : हाइड्रोजन ( प्रोटियम, ड्यूटीरियम और ट्राईटियम   ) )

समभारिक : द्रव्यमान संख्या समान किन्तु परमाणु संख्या भिन्न 



Biology Important Questions


शीर्षस्थ विभज्योतक जड़ो एवं तनो की वृद्धि वाले भाग स्थित होता है तथा लम्बाई में वृद्धि करता है 
पार्श्व विभज्योतक ( कैबियम  ) : इसके कारण तने की वृद्धि या मूल में वृद्धि 
अन्तर्विष्ट विभज्योतक कुछ पौधों में पर्वसन्धिया के पास पाए जाते है 
स्थायी ऊतक : विभज्योतक द्वारा बनी कोशिका एक विशिष्ट कार्य करती है , और विभाजित होने की शक्ति खो देती है , जिससे स्थायी ऊतक बनता है। 

1 ) सरल स्थायी ऊतक : एपिडर्मिस के निचे की कोशिका परत , पैरेन्काइमा सबसे ज्यादा पाया जाने वाला सरल स्थायी ऊतक (i) पैरेन्काइमा (ii) कॉलेंन्काइमा 
एक अन्य प्रकार का ऊतक स्क्लेरेन्काइमा : पौधों को कठोर और मजबूत बनता है( ex : नारियल रेशा युक्त छिलका ), ये कोशिका मृत और लम्बी पतली ये भित्ति लिग्निन के कारण मोटी होती है , यह ऊतक तने में संवहन बण्डल के समीप पत्तो की शिराओ में तथा बीजो और फलो के कठोर छिलको में 

एपिडर्मिस छोटे-छोटे छिद्र को स्टोमेटा कहते है। स्टोमेटा को २ रक्षी कोशिका घेरे रहती है जो गैस का आदान प्रदान , वाष्पोत्सर्जन की क्रिया भी  स्टोमेटा के द्वारा होती है , जड़ो की एपिडर्मिस पानी सोखती , मरुस्थलीय पौधे की बाहरी सतह एपिडर्मिस में क्यूटिन का लेप 
द्वितीय विभज्योतक की पट्टी कोर्टेक्स जो कॉर्क  कोशिका परत बनाती है। इन छालो की कोशिका मृत इनकी भित्ति पर सुबेरिन पदार्थ 

2 ) जटिल स्थायी ऊतक: जाइलम और फ्लोएम ( इन्हे संवहन ऊतक भी कहते है  )

जंतु ऊतक :
एपिथीलियमी ऊतक : जंतु के शरीर को ढकने और आंतरिक अंगो का अस्तर 

आहारनली / मुँह अस्तर : शल्की एपिथीलियमी
अवशोषण और स्राव अंग अस्तर : स्तंभकार एपिथीलियम 
श्वास नली : में स्तंभकार एपिथीलियम ऊतक में पक्ष्माभ (Cilia)

संयोजी ऊतक : रक्त / अस्थि 

चार्ल्स डार्विन (1859) : the origin of species 

मोनेरा : जीवाणु, नील हरित ,शैवाल ,सायनोबैक्टीरिया, माइकोप्लाज्मा   
प्रोटिस्टा(एककोशिक यूकैरियोटी ) :स्वयंपोषी & विषमपोषी : एककोशिक शैवाल , डाइएटम , प्रोटोजोआ ( अमीबा, पैरामीशियम,युग्लीना ) आदि 
फंजाई (प्रकाश संश्लेषण नहीं(विषमपोषी यूकैरियोटी मृतजीवी/परजीवी  ) ) : यीस्ट(सैक्रोमाइसीज़), मोल्ड, मशरूम, पेनिसीलियम, एगेरिकस ,लाइकेन 
प्लाण्टी( प्रकाश संश्लेषण होता (बहुकोशिक यूकैरियोटी स्वपोषी   ) : सभी पौधे 
i ) थैलोफाइटा (मुख्यत: जल में ) : शैवाल (यूलोथ्रिक्स, क्लैडोफोरा, अल्वा, स्पाइरोगाइरा, कारा आदि )
ii ) ब्रायोफाइटा (पादप वर्ग का उभयचर(तना और पत्ती में विभाजित)) : मॉस(फ्यूनेरिया, रिक्सिया, मार्केशिया आदि )
iii ) टेरिडोफाइटा ( जड़, तना,पत्ती में विभाजित , संवहन ऊतक) : मार्सीलिया, फर्न, हॉर्स-टेल आदि ( बीज उत्पन्न करने की क्षमता नहीं इसलिए क्रिप्टोगैम कहलाते, जो पौधे बीज उत्पन्न उन्हें फैनरोगैम  ) जिम्नोस्पर्म (नग्न बीज ) जैसे पाइनस & साइकस , एंजियोस्पर्म (बंद बीज) जैसे एक बीजपत्री & द्विबीजपत्री 

एनिमेलिया (बहुकोशिक यूकैरियोटी (विषमपोषी) )
i ) पोरीफेरा(छिद्र युक्त जीव ) : स्पांज जैसे साइकॉन , यूप्लेक्टेला, स्पंजिला आदि 

ii ) सीलेंटरेटा(जलीय जंतु) इनमे एक देह गुहा होती है कोरल , हाइड्रा ,समुद्री एनीमोन, जेलीफिश आदि 

iii ) प्लेटीहेल्मिंथीज : प्लेनेरिया, लिवरफ्लूक, टेपवर्म 

iv  ) निमेटोडा(एस्कहेल्मिंथीज) : गोल कृमि, फाइलेरिया कृमि  , पिन कृमि, एस्केरिस, वुचेरेरिया आदि

v ) एनीलिडा : केंचुआ, नेरीस, जोंक  

vi ) आर्थोपोडा : झींगा, तितली, मक्खी(मस्का), मकड़ी, बिच्छू, केकड़ा,पेरिप्लेनीटा(तिलचट्टा),स्कोलोपेंड्रा(शतपाद) आदि  

vii ) मोलस्का : घोंघा, सीप, काइटान, ऑक्टोपस, यूनियो

viii ) इकाइनोडर्मेटा : स्टारफिश(ऐस्टीरिऐस ), समुद्री अर्चिन(इकाइनॉस), एंटेडॉन(पंखतारा), होलोथूरिया(समुद्री खीरा)  आदि 

ix ) प्रोटोकार्डेटा : बैलैनाग्लोसस, हर्डमेनिया, एम्फियोक्सस, नोटोकॉर्ड 

x ) वर्टिब्रेटा(कशेरुकी) : 
a) सायक्लोस्टोमेटा : पेट्रोमाइजॉन(लैम्प्रे), मिक्जीन (हैग मछली)  
b) मत्स्य (द्विकक्षीय ह्रदय) : शार्क , ट्यूना, रोहू , मैंडारिन फिश(सिंकिरोपस स्प्लेंडिडस), लॉयन फिश(टेरोइस वोलिंट्स), ऐंगलर फिश (कालो फाइरीन जोरडानी), तारपीडो(विद्युत् रे), स्टिंग रे (दंश-रे), डॉग फिश (स्कालियोडॉन), लेबियो रोहिता, दरियाई घोडा (नर हिप्पोकैंपस), उड़न मछली (एक्सोसीटस), एनाबास (क्लाइबिंग पर्च) 
c) जल स्थलचर(Amphibia) (त्रिकक्षीय ह्रदय):  , मेंढक, सैलामेंडर, टोड ,हाइला आदि 
d) सरीसृप (त्रिकक्षीय ह्रदय ) : कछुआ, साँप,छिपकली, मगरमच्छ, कैमेलियॉन  
e) पक्षी (चारकक्षीय ह्रदय ):सफेद स्टोर्क (सिकोनिया ) ,ऑस्ट्रिच (स्ट्रुथियो कैमेलस ), नर गुच्छेदार बत्तक (आयथिया फ्यूलिगुला), कबूतर,गोरैया, कौआ आदि 
f) स्तनपायी (चारकक्षीय ह्रदय) : इकिडना प्लेटिपस ,कंगारू , व्हेल , चूहा ,मनुष्य , चमगादड़ ,बिल्ली आदि 

Physics Important Questions




 


 



 


























तालाब में पत्थर फेंकने पर अनुप्रस्थ तरंग 
ध्वनि तरंगे अनुदैर्घ्य होती है। 
निर्वात में ध्वनि तरंगे गमन नहीं करती है। 
ध्वनि तरंग अभिलक्षण : आवर्त्ति , आयाम , वेग

वायु में ध्वनि की चाल : 0०C पर 331 m/s  & 22 ०C  पर  344 m /s
 feric oxide : Fe२O३ 

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